भारतीय हिमालय क्षेत्र के एक शांत, अनजाने कोने में, एक कहानी फुसफुसाहटों के माध्यम से जीवित रही है—बौनमिच और हुर्बा की रहस्यमय कथा। हिमाचल प्रदेश के किन्नौर जिले की सांगला घाटी में स्थित, बौनमिच, किन्नौरी भाषा में ‘बौने लोग‘ के लिए प्रयुक्त शब्द है। येशी, एक बौद्ध भिक्षु, जो पीढ़ियों से चली आ रही प्राचीन कथाओं के संरक्षक भी हैं, इस कथा पर अपनी दृष्टि साझा करते हैं। यह कहानी उन पर्वतीय लोगों की स्मृतियों में बसे बौने मिथकों के अंशों को उजागर करने और उन्हें जोड़ने का प्रयास करती है, जो इस अलौकिक पहाड़ी क्षेत्र को अपना घर कहते हैं।
वर्तमान सांगला। फोटो: हिमांशु रेगेसोई
कहा जाता है कि हुर्बा, एक रहस्यमय स्थान, सांगला की हाल की बस्ती से बहुत पहले अस्तित्व में रहा था। येशी के अनुसार, हुर्बा कभी एक समृद्ध नगर था जिसका दुखद अंत को हुआ। इसके खंडहर मिथकों और रहस्यों में डूब गए, जहां आज भी अलौकिक गतिविधियों कीफुसफुसाहटें जारी हैं।
एक उद्धरण जो “खंडहर” की दीवारों पर लिखा है। फोटो: हिमांशु रेगेसोई
येशी और उनके पिता, दोरजे के कहानियों व यादों की दुनिया से यह फिल्म पीढ़ियों से चली आ रही प्राचीन मान्यताओं की गहराई में उतरती है। यह चट्टानों पर उकेरे गए संकेतों का अनुसरण करती है, जो एक खोई हुई दुनिया की ओर इशारा करते हैं।
हुर्बा में गुफा जैसी संरचना वाले बड़े पत्थर। फोटो: हिमांशु रेगेसोई
लेकिन यह प्रश्न बने रहते हैं: क्या ये कथाएँ मात्र मिथक हैं, या वे बीते समय की सच्चाइयाँ समेटे हुए हैं? क्या यह लोककथा हमें एक ऐसी यात्रा पर ले जा सकती है जो वास्तविकता को अलौकिक से जोड़ती है?बौनमिच कौन थे, वह रहस्यमय बौना समाज जिसके पास प्राचीन ज्ञान होने की बात कही जाती है?हुर्बा में कौन से रहस्य छिपे हैं जो अभी तक उजागर नहीं हुए हैं?
Himanshu Regesoi's passion for cinema runs deep. Born and raised in the mountainous region of Sangla, Kinnaur, he is a self-taught filmmaker currently pursuing a degree in English Literature. His diverse interests in music, literature, astronomy, and science enrich his storytelling. Driven by a desire to showcase Kinnaur's rich cultural heritage, Himanshu aspires to help establish a regional film industry that reflects the beauty and tales of his homeland. Stargazing is one of his favorite pastimes.
हिमांशु रेगेसोई का सिनेमा के प्रति जुनून गहरा है। सांगला, किन्नौर के पर्वतीय क्षेत्र में जन्मे और पले-बढ़े हिमांशु एक स्व-प्रशिक्षित फिल्म निर्माता हैं, जो वर्तमान में अंग्रेजी साहित्य में डिग्री प्राप्त कर रहे हैं। संगीत, साहित्य, खगोल विज्ञान, और विज्ञान में उनकी विविध रुचियाँ उनकी कहानी कहने की कला को गहराती हैं। किन्नौर की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को प्रदर्शित करने की इच्छा से प्रेरित होकर, हिमांशु अपने मातृभूमि की सुंदरता और कथाओं को प्रतिबिंबित करने वाले एक क्षेत्रीय फिल्म उद्योग की स्थापना में योगदान देने की आकांक्षा रखते हैं। तारों को निहारना उनके पसंदीदा शौकों में से एक है।
Voices of Rural India is a not-for-profit digital initiative that took birth during the pandemic lockdown of 2020 to host curated stories by rural storytellers, in their own voices. With nearly 80 stories from 11 states of India, this platform facilitates storytellers to leverage digital technology and relate their stories through the written word, photo and video stories.
ग्रामीण भारत की आवाज़ें एक नॉट-फ़ॉर-प्रॉफ़िट डिजिटल प्लैटफ़ॉर्म है जो 2020 के महामारी लॉकडाउन के दौरान शुरू हुई थी, जिसका उद्देश्य ग्रामीण कहानीकारों द्वारा उनकी अपनी आवाज़ में कहानियों को प्रस्तुत करना है। भारत के 11 राज्यों की लगभग 80 कहानियों के साथ, यह मंच कहानीकारों को डिजिटल तकनीक का प्रयोग कर और लिखित शब्द, फ़ोटो और वीडियो कहानियों के माध्यम से अपनी कहानियाँ बताने में सक्रीय रूप से सहयोग देता है।