At a Santang (Deity worship place) in Lambar village, Kinnaur. Photo: Tanisha Negi
Cultural Heritage,  Culture,  Himachal Pradesh,  Hindi

थेफांग: किन्नौरी संस्कृति और पहचान का प्रतीक

कहानीकर्ता : तनिशा नेगी
रिकांग पिओ, जिला किन्नौर,
हिमाचल प्रदेश

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Kinnauri Topi. Photo: Tanisha Negi
किन्नौरी टोपी। फोटो: तनीषा नेगी
 

“ये टोपी  बहुत सारी कहानियाँ लाती है मेरे लिए,” महेश नेगी हंसते हुए कहते हैं, उनकी आंखें कहीं और देख रही हैं, मानो वेयादों में खो गए हों।

किन्नौरी टोपी सिर्फ एक टोपी नहीं है—यह किन्नौर, के लोगों की संस्कृति, पहचान और गर्व का प्रतीक है। यह फिल्म आपकोइस टोपी की समृद्ध परंपरा के सफर पर ले जाती है, जहां यह जीवन के सबसे खास पलों का हिस्सा रही है—शादियों से लेकर सांतांग (गांव के देवता के निवास) तक की यात्राओं में। यह सम्मान और आतिथ्य का प्रतीक है, जो किन्नौरी जीवन के ताने-बानेमें गहराई से बसी हुई है।

At a Santang (Deity worship place) in Lambar village, Kinnaur. Photo: Tanisha Negi
किन्नौर के लांबर  गांव में एक सांतांग (देव पूजा स्थल) में। फोटो: तनीषा नेगी
Celebrations at Ukhyang festival in Ribba, Kinnaur. Photo: Tanisha Negi
किन्नौर के रिब्बा में उख्यांग  उत्सव का जश्न। फोटो: तनीषा नेगी

समय के साथ इस टोपी ने बहुत बदलाव देखे है। जो कभी ध्यान से हाथ से सिलती थी, अब बढ़ते बाजार के लिए बनाई जा रहीहै, पारंपरिकता और आधुनिक फैशन का मेल बनकर। यह फिल्म 1990 के दशक में किन्नौर में आए बड़े बदलावों पर भी रोशनीडालती है, जब सेब की खेती में उत्कर्ष ने क्षेत्र को समृद्ध बनाया और न केवल आजीविका बल्कि परंपराओं को भी बदला।

Women preparing topis to give to guests at a wedding. Photo: Tanisha Negi
शादी में मेहमानों को देने के लिए टोपियाँ  तैयार करती महिलाएँ। फोटो: तनीषा नेगी

जैसे-जैसे किन्नौर की अर्थव्यवस्था बढ़ी, पारंपरिक किन्नौरी टोपी में भी बदलाव आने लगे। इसका डिज़ाइन और इस्तेमालबदलते समय के साथ नए प्रभावों को दर्शाने लगा। यह फिल्म दिखाती है कि कैसे बदलते आर्थिक हालात और फैशन नेकिन्नौरी टोपी की भूमिका को प्रभावित किया। कहानी का एक दिलचस्प पहलू यह भी है कि पुरुष और महिलाएं थेफांग, याटोपी, को अलग-अलग तरीकों से अपनाते हैं।

यह फिल्म इस बात को उजागर करती है कि पारंपरिक थेफांग —जो न ठंड से बचाती है और न गर्मी से—किन्नौरी संस्कृति काएक मज़बूत प्रतीक कैसे बन गई है। जानिए कैसे यह साधारण सी टोपी समुदाय को एकजुट करती है और किन्नौर की समृद्धविरासत और साझा पहचान को दर्शाती है। हमारे साथ जुड़िए, किन्नौर के लोगों की उस यात्रा को समझने के लिए जहां वे अपनीजड़ों से जुड़े रहते हुए आधुनिक जीवन के बदलावों को भी अपना रहे हैं।

The Kinnauri Topi with different decorations. Photo: Tanisha Negi
अलग-अलग सजावट वाली किन्नौरी टोपी । फोटो: तनीषा नेगी

Meet the storyteller

Tanisha Negi
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Tanisha Negi aka Nicky is a 3D Artist. She has completed B.Sc. Honors in Mathematics from Gargi College at Delhi University. Her work expands across various mediums including 3D modelling, graphic design, video editing, digital illustration and more. She is interested in learning from folk cultures and exploring diverse ways of storytelling.

तनिशा नेगी, जिन्हें निकी भी कहा जाता है, एक 3D कलाकार हैं। उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय के गर्गी कॉलेज से गणित में बी.एससी. ऑनर्स किया है। उनका काम 3D मॉडलिंग, ग्राफिक डिजाइन, वीडियो एडिटिंग और डिजिटल चित्रण जैसे कई क्षेत्रों में फैला हुआ है। वे लोक संस्कृतियों से सीखने और अलग-अलग तरीकों से कहानियां सुनाने में दिलचस्पी रखती हैं।

Voices of Rural India
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Voices of Rural India is a not-for-profit digital initiative that took birth during the pandemic lockdown of 2020 to host curated stories by rural storytellers, in their own voices. With nearly 80 stories from 11 states of India, this platform facilitates storytellers to leverage digital technology and relate their stories through the written word, photo and video stories.

ग्रामीण भारत की आवाज़ें एक नॉट-फ़ॉर-प्रॉफ़िट डिजिटल प्लैटफ़ॉर्म है जो 2020 के महामारी लॉकडाउन के दौरान शुरू हुई थी, जिसका उद्देश्य ग्रामीण कहानीकारों द्वारा उनकी अपनी आवाज़ में कहानियों को प्रस्तुत करना है। भारत के 11 राज्यों की लगभग 80  कहानियों के साथ, यह मंच कहानीकारों को डिजिटल तकनीक का प्रयोग कर और लिखित शब्द, फ़ोटो और वीडियो कहानियों के माध्यम से अपनी कहानियाँ बताने में सक्रीय रूप से सहयोग देता है।

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