
बदलते मौसम के त्योहार
माने शाबो अरुणाचल प्रदेश के सिंगचुंग गांव में बुगुन समुदाय द्वारा साल में 3 बार मनाई जाने वाली एक अनोखी परंपरा है। यह त्यौहार उनके पूर्वजों, देवताओं और सांस्कृतिक जड़ों के साथ-साथ उनके प्राकृतिक पर्यावरण और पारिस्थितिकी तंत्र से जुड़ने का तरीका है। आइये शालीना से जुड़ें क्योंकि वह हमें ऋतुओं और अपने समाज द्वारा मनाए जाने वाले अनुष्ठानों के बारे में बता रही है।

कहानीकार: शालीना फ़िनिया, हिमल प्रकृति फ़ेलो
फ़ेलोग्राम- सिंगचुंग, जिला – वेस्ट कामेंग
अरुणाचल प्रदेश
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माने शाबो अरुणाचल प्रदेश के सिंगचुंग गांव में मनाई जाने वाली एक अनोखी और महत्वपूर्ण परंपरा है। यह ऐसी परम्परा है जो हम साल में तीन बार माने (मंदिर) में करते हैं। बदलते मौसम के साथ तीनों अनुष्ठानों को एक क्रम में मनाया जाता है। बसंत ऋतु के शशी शाबो का जश्न, फिर अगस्त में मुथोंग-शाबो और सर्दियों के आगमन से पूर्व धुंन शाबो पूरे गांव के साथ मिलकर मनाया जाता है।
माने शाबो हमारे लिए सिर्फ एक धार्मिक या सांस्कृतिक प्रथा नहीं है, बल्कि यह प्रकृति और पारिस्थितिक तंत्र के साथ हमारा परसपर रिश्ते और मूल्यों को दर्शाता है। इस त्योहार में हम हमारे पूर्वजों, देवताओं और सांस्कृतिक जड़ों से जुड़ने का एक तरीका हैं। साथ में ये हमें अपने प्राकृतिक परिवेश की रक्षा और संरक्षण करने की हमारी जिम्मेदारी की याद दिलाता है। ये रीति-रिवाज हमारी संस्कृति में गहराई से रचे-बसे हैं और पीढ़ी-दर-पीढ़ी आगे बढ़ते आ रहें हैं। आज के युग में यह परम्परा हमारे जलवायु परिवर्तन के हमले को संबोधित करने में समुदाय-संचालित पहल के महत्व और सकारात्मक प्रभाव डालने में हमारी भूमिका और शक्ति का प्रतीक हैं।
आइये मेरे साथ बुगुन समाज के बदलते मौसम में मनाए जाने वाले रीति-रिवाज के बारे आप रूबरू हो सकें।
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