
गॉन्ग डायरीज़ – माउथ हार्प बजाने वाली बुगुन जनजाति की दादी
कहानीकर्ता : शालीना फ़िनिया, हिमल प्रकृति फ़ेलो
ग्राम- सिंगचुंग , जिला – वेस्ट कामेंग
अरुणाचल प्रदेश
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शालीना फ़िनिया इस विडिओ कहानी के माध्यम से सिंगचुंग गाँव में रहने वाली लगभग 102 वर्ष की एक दादी की कहानी सुना रही हैं, वे उनके गाँव में रहने वाली एकलौती महिला हैं जो माउथ हार्प या गॉन्ग बजाती हैं। दादी का नाम आखिमी फ़िनिया है और उनसे बात करने पर वे बड़ी खुशी से बताती हैं कि कैसे वे बचपन से सिंगचुंग गाँव में पली बढ़ी और अपना घर बसाया।
गॉन्ग बांस का बना हुआ एक मुंह से बजाने वाला यंत्र है जो पुराने जमाने में प्रेमी युगल में एक दूसरे के प्रति प्यार प्रदर्शित करने का माध्यम था। वे बताती हैं कि जब एक लड़का किसी लड़की को पसंद करता था तो वह उसे अपने हाथ से कंघी या गॉन्ग बनाकर अपने प्यार के प्रतीक के रूप में अपनी प्रेमिका को तोहफे में देता था। दादी मुसकुराते हुए याद करके बताती हैं कि जब उनका विवाह हुआ था तब उनके पति ने भी उन्हे तोहफे में बांस का गॉन्ग और एक कंघी बना कर दिया था। उस समय प्रेमी और प्रेमिका के बीच एक दूसरे को रिझाने की एक प्रतियोगता सी होती थी जिसमें नृत्य और संगीत का बहुत अहम योगदान होता था। प्रेमी और प्रेमिका दोनों इसे बजा कर एकसाथ नृत्य करते थे। दादी बताती हैं कि गॉन्ग को महत्वपूर्ण कार्यक्रमों जैसे, शादी- विवाह और बच्चे पैदा होने पर बजाया जाता था पर इसे संस्कृतिक कार्यक्रमों में नहीं बजाते।

जब उनसे पूछा गया कि वे इसे दूसरों को बजाना क्यों नहीं सिखातीं ?
तो वे याद कर के बोलती हैं –
“मै इसे बहुत कम उम्र से बहुत कुशलता से बजा रहीं हूँ और तब से आज तक बहुत से लोग मुझसे यह यंत्र बजाना सीखने आए पर उनमें से कोई भी इसे अच्छे से बजाने में सफल नहीं हुआ। अब लोग यहां नहीं आते हैं पर आज भी मैं अकेले बैठ के गॉन्ग बजाती हूँ।”
आखिनी फ़िनिया के पड़ोस में रहने वाले एक नौजवान- जिम्बू मरफ्यू , जिन्हें गाने लिखने का शौक है, कहते हैं कि वे गॉन्ग की धुन के साथ एक गीत की संरचना करेंगे ताकि वह गॉन्ग को सिंगचुंग गाँव से खत्म होने से बचा सकें।

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